जहाँ रहता हूँ मैं.. वहाँ से एक रास्ता जाता है छत पर.. जिससे कोई गया नहीं बहुत दिन हुए... देखा है मैंने छोड़ दिये गए उस रास्ते पर उगने लगे हैं बहुत सारे जीवन.. बस एक चिड़िया आती है वहाँ हर रोज.. रोज सुनता हूँ उसकी आवाज को.. फिर भी मैं नहीं देख सका उसे कभी.. कभी देखना चाहा भी तो नहीं.. लेकिन इस बार जो आई तो देखूंगा उसे और उसकी आँखों में भी अनगिनत उड़ानों की ऊंचाइयों को.. उसके पंखों की गति में खिंचते जाते जीवन के संघर्षों को.. उसकी आवाज को जो बहुत पहचानी सी याद से जोड़ कर भूल जाने को कहती है सबकुछ सुनूँगा तब बहुत इत्मिनान से उसे.. आजकल कुछ दिनों से आयी नहीं वो.. अब ऐसा मुझे लगने लगा है कि छोड़ दिये गए रास्तों पर उगे हुए तमाम जीवन भी कभी ना कभी कुचल दिए जाते होंगे वक्त के पहिये के तले.
©timitpathil