Friday, April 9, 2021

।। वक्त ।।

घर से निकलते वक़्त
चौखट पर
ठिठक गए उसके पाँव
याद किया उसने
जब वह आयी थी
इस चौखट को लाँघकर
जिसके परे फिर उसने देखी नहीं दुनिया
खेतों के काम पर-
कूएँ से पानी भरने भी
जाती थीं घरकी बड़ी बहुएँ
वो घर में सबकी चहेती थी 
हँसी उसके चेहरे पर
सबने हमेशा देखी थी
बस कुछ महीने पहले ही तो
नियति ने जब सजा दिया
उसे वैधव्य के काँटों से
तब घर में उसे 
पहली बार माँगना पड़ा था ठंडा तेल
बच्चे की चोट पर लगाने के लिए
धीरे धीरे सबने छोड़ दिया उसकी बातें सुनना
और तिरस्कृत कर कह दिया
अपनी व्यवस्था करने के लिए

गाँव में पहली बार निकली थी वह
लोगों की बातों में सुना
उसने अपने लिए
झूठी संवेदना
उनकी घूरती आँखों में
देखा उसने तृप्त हो रही वासना
आज फिर..
नम आँखो के पोरों को
आँचल से पोछते हुए
बच्चों की भूख मिटाने के लिए
कोटेदार से माँगा उसने
अपने हिस्से का चावल...

   
                                                            ©timit_pathil

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