क्या है जीवन
दुःख भी हंसकर काट लिया
अपनों में खुशियाँ बाँट लिया
क्या है जीवन
गर्म दिनों में एक हवा का ठंडा झोंका
बहती नदिया की लहरों में चलती नौका
हाथ पकड़ बच्चों ने ज्यों जाने से रोका
क्या है जीवन
ढलती शाम सूर्य जाकर पच्छिम में खोया
खेत किनारे पड़ी खाट पर थककर सोया
ओढ़ रात की चादर कोई छुपकर रोया
क्या है जीवन
बदल रहे मौसम की वो हल्की सी आहट
साथ चल रहे साथी की छोटी सी चाहत
दुःख में हाथ बंटाने से जो मिलती राहत
क्या है जीवन
चौराहों पर जमी भीड़ में बिकती मेहनत
नहीं उतर कर आसमान से आती रहमत
बड़े बड़े महलों पे अब है अनगिन लानत
क्या है जीवन
साथ तुम्हारा और पकड़कर हाथ, गाँव में चलती राहें
साथ तुम्हारा और गोद में रखे हुए सर, थामे बाहें
साथ तुम्हारा और साथ में ही दिन रात गुजरते जाएं
क्या है जीवन
दुःख भी हंसकर काट लिया
अपनों में खुशियाँ बाँट लिया
©timit_pathil