१.
समय
घड़ी की सुई के घूमने से
सूर्य के उदय और अस्त होने से
पृथिवी के धुरी पर चक्कर लगाने से
व्यक्ति के लिये बंधन सा मापा जाता है
या इस अनंत ब्रह्मांड मे समय का कोई माप ही ना हो?
२.
स्नेह
घास के फूल सा
उड़ती हुई धूल सा
तिरस्कृत होता हुआ
भाषा की तरह लिपिबद्ध होना चाहता है
या स्नेह की भाषा के लिए कोई लिपि ही ना हो?
३.
जीवन
वृद्धि से ह्रास तक
मृत्यु के अवकाश तक
अस्तित्व को दर्शाता हुआ परिभाषित होता है
या इस जीवन की कोई परिभाषा ही ना हो?
©timit_pathil