Sunday, December 6, 2020

।। दुविधा ।।

१.
समय

घड़ी की सुई के घूमने से
सूर्य के उदय और अस्त होने से
पृथिवी के धुरी पर चक्कर लगाने से
व्यक्ति के लिये बंधन सा मापा जाता है

या इस अनंत ब्रह्मांड मे समय का कोई माप ही ना हो?

२.

स्नेह

घास के फूल सा
उड़ती हुई धूल सा
तिरस्कृत होता हुआ
भाषा की तरह लिपिबद्ध होना चाहता है

या स्नेह की भाषा के लिए कोई लिपि ही ना हो?

३.

जीवन

वृद्धि से ह्रास तक
मृत्यु के अवकाश तक
अस्तित्व को दर्शाता हुआ परिभाषित होता है

या इस जीवन की कोई परिभाषा ही ना हो?

                                                            ©timit_pathil

Saturday, December 5, 2020

।। उलझन ।।

पुराने से
किसी एल्बम में
देखते हुए तस्वीरें
अचानक उसे
किसी की चहकती सी तस्वीर दिखी
कोई चीज है
जो कहलाती है
मुस्कुराहट
उसके चेहरे पर
कुछ देर ठहर करके गुजरी
बहुत दिनों बाद
उसे वैसा ही देखा गया
जैसा कि
कभी वह दिखा करता था..

गर्मी की
शांत दोपहर में
सुनते हुए रेडियो
अचानक उसने
किसी की पसंदीदा धुन सुनी
कोई चीज है
जो कहलाती है
हँसी
उसके चेहरे पर
कुछ देर ठहर करके गुजरी
बहुत दिनों बाद
उसे वैसा ही देखा गया
जैसा कि
कभी वह दिखा करता था..

मेले में
भीड़ के बीच
देखते हुए चूड़ियाँ
अचानक उसने
किसी के आवाज में कोई नाम सुना
कोई चीज है
जो कहलाती है
उलझन
उसके चेहरे पर
कुछ देर ठहर करके रुक गई
तब लोगों ने उसे
वैसा ही देखा
जैसा कि
आजकल वह दिखा करता था.. 


                                                            ©timit_pathil

कुछ ख़्वाब तक है ये जिन्दगी

कुछ ख़्वाब तक है ये जिंदगी कभी  आस्था का दिया लिए कभी  नींद  का  सौदा  किये कभी व्यस्तता में  उलझ गए कभी फ़ुरसतों में ही जी लिए अपनी अलग द...