Wednesday, January 27, 2021

।। मैं रुक गया वहाँ ।।

मैं रुक गया वहाँ
जहाँ गांव का आखिरी पेड़ सूखा खड़ा है
जहाँ सीवान का आखिरी खेत बंजर पड़ा है
जहाँ ट्यूबवेल के नहर का आखिरी कुलावा खुलता है
जहाँ से तुम्हारा नाम चीख चीख कर बोलूँ तो भी कोई नहीं सुनने वाला है

मैं रुक गया वहाँ
जहाँ पेड़ों पर फूल नहीं जिम्मेदारियों के फल लगते हैं
जहाँ सड़के किसी मेले में नहीं बाजार के संकरे से गोदाम में जाती हैं
जहाँ पैरों में चप्पल नहीं रिक्शे की पैडिल पहनी जाती है
जहाँ गुब्बारों में भरकर भूख खरीदी और बेची जाती है

मैं रुक गया वहाँ
जहाँ नींद ख्वाबों से सौदा करते करते खुद सो जाती है
जहाँ ख़्वाब किसी इच्छा को सजाता संवारता मार दिया जाता है
जहाँ रात सुकून के जगह को कल की चिंता से भरती है
जहाँ दिन खुशी के जगह को व्यस्तताओं से भर देता है

मैं रुक गया वहाँ
जहाँ एक बाप ठंड से मरी हुई बेटी को गोद में लिए उसका सर चूम रहा है
जहाँ बुझे हुए अलाव के पास कुत्ते के साथ चिथड़ा ओढ़े एक बच्चा सो रहा है
जहाँ बहू सुबह से अपनी सास पे चिल्लाये जा रही कि उसने रात की बची हुई रोटियाँ कयूँ खा ली हैं
जहाँ आदमी काम के बहाने निकल कर खेत के मेड़ पर बैठ ताश खेल रहा है

मैं रुक गया वहाँ...

©timit_pathil

Wednesday, January 20, 2021

सोचता हूँ अक्सर ही कि कभी यूँ ही चुपचाप निकल लूँ अनन्त की तरफ उस यात्रा में जहाँ रास्ते कभी मंजिलों तक नहीं पहुँचते... जहाँ से मुड़कर वापस आने का कोई अवसर नहीं होता है... जहाँ अपने भी कभी न मिल पाने के वादे के साथ अलविदा कहते हैं...
                                          सोचता हूँ अक्सर ही कि कभी यूँ ही चुपचाप तुमको बताए बिना विदा ले लूँ तुमसे और तुम्हारे तकिये तले सहेजकर रख दूँ अनगिनत सवालों को... अनगिनत ख्वाबों को बिखेर दूँ तुम्हारी पलकों पर... बिना बताए ही तुमको चुपके से पकड़ा दूँ अधूरे अफसानों की किताब और निकल लूँ वहाँ जहाँ से वापस आने की उम्मीद किसी को न रहे...
                                          फिर सोचता हूँ अक्सर की जाने से पहले एकबार तुमसे कह दूँ कि अपना ख्याल रखना... मुझे शायद देर हो जाए वापस आने में... शायद बहुत देर... 


                                                             ©timit_pathil

।। चले जाना ।।

किसी ने कहा था 'जाना' सबसे कठिन क्रिया है... फिर भी मेरा ये मानना है किसी के लिये भी जाने के रास्ते खुल रहने चाहिए... उसे अपने स्वार्थ के लिए अपने अपनेपन के नाते अपने खुशी के लिए रोकना उचित नहीं हो सकता... हाँ मैं ये कह सकता हूँ किसी को जाने देना भी सबसे कठिन फैसला हो सकता है... फिर भी किसी के लिए किसी भी चीज के लिए रास्ते बन्द करना उचित नहीं हो सकता... हाँ यहाँ यह विचार किया जा सकता है कि ऐसा कब करना चाहिए... तो मैं यही कहूँगा इसका कोई समय नहीं बस आपको इतनी सहूलियत हमेशा रखनी चाहिए कि सामने वाले को जब जाना हो तो उसके लिए उसे आपसे पूछना या कहना न पड़े... कुछ चीजों को हम एक सुंदर विदा के साथ भी छोड़ सकते.. मुझे लगता है कि एकझटके में खत्म करने के जगह यह ज्यादा अच्छा तरीका है... एक अच्छी याद लिए.. एक अच्छे मोड़ पर... बिना दूरी बढ़े ही दूर हो जाना...
हाँ यह मुझे भी लागता है जाना सबसे कठिन क्रिया है... और किसी को जाने देना सबसे कठिन फैसला...

 
                                                            ©timit_pathil

कुछ ख़्वाब तक है ये जिन्दगी

कुछ ख़्वाब तक है ये जिंदगी कभी  आस्था का दिया लिए कभी  नींद  का  सौदा  किये कभी व्यस्तता में  उलझ गए कभी फ़ुरसतों में ही जी लिए अपनी अलग द...